गरचे बादल पानी बरसाता हुआ घर घर फिरा
गरचे बादल पानी बरसाता हुआ घर घर फिरा
फिर भी बारिश की दुआ करता रहा इक सर-फिरा
एक उम्मी को मिली अपने ही दिल में काएनात
और मैं आलिम तलाश-ए-ज़ात में दर दर फिरा
हम ज़माने से फिरे ये तो बजा है साहिबो
उस को तो लाओ जो हम से आश्ना हो कर फिरा
उस की ख़ुश-फ़हमी ने कल बस मार ही डाला हमें
तुझ को देखा और दरवाज़े से चारा-गर फिरा
आब वो आई जो चेहरे पर अदू के बा'द-ए-वस्ल
और पानी वो जो मेरी आरज़ूओं पर फिरा
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