बिछड़ गए थे किसी रोज़ खेल खेल में हम
बिछड़ गए थे किसी रोज़ खेल खेल में हम
कि एक साथ नहीं चढ़ सके थे रेल में हम
ज़रा सा शोर-ए-बग़ावत उठा और उस के बा'द
वज़ीर तख़्त पे बैठे थे और जेल में हम
पता चला वो कोई आम पेंटिंग नहीं है
और उस को बेचने वाले थे आज सेल में हम
जफ़ा की एक ही तीली से काम हो जाता
कि पूरे भीगे हुए थे अना के तेल में हम
जो शर-पसंद हैं नफ़रत के बीज बोते रहें
जुटे रहेंगे मोहब्बत की दाग़-बेल में हम
बस एक बार हमारे दिलों के तार मिले
फिर उस के बा'द नहीं आए ताल-मेल में हम
ये शाइ'री तो मिरी जाँ बस इक बहाना है
शरीक यूँ भी नहीं होते खेल-वेल में हम
सुख़न का तौसन-ए-चालाक बे-लगाम नहीं
हमें है पास-ए-रिवायत सो हैं नकेल में हम
वहाँ हमारे क़बीलों में जंग छिड़ गई थी
सो थर के भागे हुए आ बसे थे केल में हम
ये एक दुख तो कोई मसअला नहीं 'काशिर'
पले बड़े हैं इसी ग़म की रेल-पेल में हम
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