Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8d70feb4d2bdea6fc78e68f8c0320cc4, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सुरमई रातों से छिनवा कर सहर की रौनक़ें - शोरिश काश्मीरी कविता - Darsaal

सुरमई रातों से छिनवा कर सहर की रौनक़ें

सुरमई रातों से छिनवा कर सहर की रौनक़ें

नाला-ए-शाम-ए-ग़रीबाँ बेचता फिरता हूँ मैं

मौज-ए-बरबत मौज-ए-गुल मौज-ए-सबा के साथ साथ

निकहत-ए-गेसू-ए-ख़ूबाँ बेचता फिरता हूँ मैं

दीदनी है अब मिरे चाक-ए-गिरेबाँ का मआल

कज-कुलाहों के गिरेबाँ बेचता फिरता हूँ मैं

शोला-ए-तारीख़ की ज़द पर है ताज-ए-ख़ुसरवी

ग़र्रा-ए-तक़दीर-ए-सुल्ताँ बेचता फिरता हूँ मैं

कलबा-ए-मेहनत-कशां को दे के ग़ैरत का चराग़

शौकत-ए-क़स्र-ए-ज़र-अफ़्शाँ बेचता फिरता हूँ मैं

(824) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shorish Kashmiri. is written by Shorish Kashmiri. Complete Poem in Hindi by Shorish Kashmiri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.