वो और होंगे जो वहम-ओ-गुमाँ के साथ चले

वो और होंगे जो वहम-ओ-गुमाँ के साथ चले

हम अपनी राह पे अज़्म-ए-जवाँ के साथ चले

तलाश-ए-यार में हम हर मक़ाम से गुज़रे

कभी ज़मीन कभी आसमाँ के साथ चले

न जाने कितनी ही सदियों के फ़ासले हैं अभी

हुई है उम्र ज़मान-ओ-मकाँ के साथ चले

कभी तो पाएँगे हम भी हयात की मंज़िल

इसी ख़याल से उम्र-ए-रवाँ के साथ चले

तमाम रात किसी अजनबी का साथ रहा

सहर हुई तो दिल-ए-बद-गुमाँ के साथ चले

जो फूल बन के महकते थे रहगुज़ारों में

ग़ुबार बन के तिरे कारवाँ के साथ चले

वो हुस्न-ओ-इश्क़ के क़िस्से हैं जिन से वाबस्ता

उन्ही का ज़िक्र मिरी दास्ताँ के साथ चले

जुनूँ के दोश पे रख कर चराग़-ए-हस्ती हम

क़ज़ा को ढूँडने मौज-ए-रवाँ के साथ चले

उसी को कहते हैं शायद नसीब की गर्दिश

बहार आए तो शो'ला ख़िज़ाँ के साथ चले

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In Hindi By Famous Poet Shola Haspanvi. is written by Shola Haspanvi. Complete Poem in Hindi by Shola Haspanvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.