लबों पे अब कोई आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं होती

लबों पे अब कोई आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं होती

ज़बाँ से दिल की कहानी बयाँ नहीं होती

ख़लिश तो आज भी होती है मेरे सीने में

नशिस्त-ए-दर्द जहाँ थी वहाँ नहीं होती

ख़ुदा ने चाहा तो मिल जाएँगे कहीं न कहीं

बिछड़ के ख़त्म यहाँ दास्ताँ नहीं होती

जो ख़ुद से मिलते हैं हम बे-ख़ुदी के आलम में

तुम्हारी याद तलक दरमियाँ नहीं होती

वो क़त्ल हो के भी क़ातिल पे मुस्कुराती है

अजल से ज़ीस्त कभी बद-गुमाँ नहीं होती

तुम्हारे चाहने वाले वहाँ नहीं मिलते

दिलों में दर्द की शिद्दत जहाँ नहीं होती

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In Hindi By Famous Poet Shola Haspanvi. is written by Shola Haspanvi. Complete Poem in Hindi by Shola Haspanvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.