शोला हस्पानवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शोला हस्पानवी
नाम | शोला हस्पानवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shola Haspanvi |
ज़ख़्म-ए-दिल अब फूल बन कर खिल गया
वो जिस के दिल में निहाँ दर्द दो-जहाँ का था
वो और होंगे जो वहम-ओ-गुमाँ के साथ चले
उस ने फिर और क्या कहा होगा
तेरी उल्फ़त में न जाने क्या से क्या हो जाऊँगा
राज़-ए-फ़ितरत निहाँ था निहाँ है अभी
लबों पे अब कोई आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं होती
जिस को जाना था कल तक ख़ुदा की तरह
हुस्न जब क़ातिल न था और इश्क़ दीवाना न था
अपना ख़ालिक़ ख़ुद ही था मेरा ख़ुदा कोई न था