Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e42e394bacde4887fd897145dbc92813, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इक ज़माने से फ़लक ठहरा हुआ लगता है - शोहरत बुख़ारी कविता - Darsaal

इक ज़माने से फ़लक ठहरा हुआ लगता है

इक ज़माने से फ़लक ठहरा हुआ लगता है

कोई जीता है यहाँ और न कोई मरता है

आज़माइश हो तो क्या जानिए किस का निकले

देखने में तो वो अपना ही कोई लगता है

मौत ही की हो पर उम्मीद की सूरत हो कोई

ना-उमीदी में कहाँ तक कोई जी सकता है

नक़्श-ए-पा हैं जो बताते हैं कि गुज़रा है कोई

कौन गुज़रा है मगर किस को पता चलता है

कोई पूछे तो बताना नहीं आता दिल को

बैठे बैठे कभी रोता है कभी हँसता है

सुब्ह की आस न तोड़ो कि जिओगे कैसे

इन हवाओं में अभी एक दिया जलता है

क़ाफ़िला ऐसा मुक़द्दर है कि चलता ही नहीं

और चलता है तो पीछे की तरफ़ चलता है

रह गई बर्फ़ फ़क़त शहर की बुनियादों में

फिर भी जो ज़र्रा है सूरज का असर रखता है

हिज्र ने ऐसे मराहिल से गुज़ारा है कि अब

रात का नाम भी आ जाए तो जी डरता है

देखते देखते क्या हो गया 'शोहरत' कि वो अब

दिल में रहता है मगर दूर बहुत लगता है

(537) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shohrat Bukhari. is written by Shohrat Bukhari. Complete Poem in Hindi by Shohrat Bukhari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.