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तिरे आँगन में है जो पेड़ फूलों से लदा होगा - शोभा कुक्कल कविता - Darsaal

तिरे आँगन में है जो पेड़ फूलों से लदा होगा

तिरे आँगन में है जो पेड़ फूलों से लदा होगा

तिरे घर का जो रस्ता है बड़ा ही ख़ुशनुमा होगा

गवारा कब मुझे होगा किसी एहसास का ढोना

है क़र्ज़ा इस जनम का इस जनम में ही अदा होगा

न जाने कब मिरे भारत में वो सरकार आएगी

कि जिस सरकार के हाथों ग़रीबों का भला होगा

वो लम्हे ज़िंदगी के जो तिरे हम-राह गुज़रे हैं

उन्हीं की याद से जीवन बड़ा ज़ाइक़ा होगा

जो दर्द-ए-दिल अता करता है सब को उस से पूछेंगे

दवा-ए-दर्द-ए-दिल भी कोई आख़िर बेचता होगा

चराग़-ए-दिल जला रक्खा था आब-ओ-ताब से हम ने

हवा-ए-ग़म चली होगी तभी तो ये बुझा होगा

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In Hindi By Famous Poet Shobha Kukkal. is written by Shobha Kukkal. Complete Poem in Hindi by Shobha Kukkal. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.