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अब्र का टुकड़ा कोई बाला-ए-बाम आता हुआ - शोएब निज़ाम कविता - Darsaal

अब्र का टुकड़ा कोई बाला-ए-बाम आता हुआ

अब्र का टुकड़ा कोई बाला-ए-बाम आता हुआ

मेरे घर भी सब्ज़ मौसम का पयाम आता हुआ

धूप की बुझती तमाज़त की सिपर लेता चलूँ

फिर उफ़ुक़ से धीरे धीरे वक़्त-ए-शाम आता हुआ

फिर दर-ए-दिल पर हुई हैं रौशनी की दस्तकें

फिर सितारा सा कोई बाला-ए-बाम आता हुआ

एक मुबहम सा तसव्वुर एक बे-चेहरा सा नाम

मेरी तन्हाई में अक्सर मेरे काम आता हुआ

कोई क़तरे में समुंदर देख कर सैराब है

कोई दरिया से मुसलसल तिश्ना-काम आता हुआ

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In Hindi By Famous Poet Shoaib Nizam. is written by Shoaib Nizam. Complete Poem in Hindi by Shoaib Nizam. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.