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शोएब निज़ाम Ghazal In Hindi - Best शोएब निज़ाम Ghazal Shayari & Poems - Darsaal

Ghazals of Shoaib Nizam

Ghazals of Shoaib Nizam
नामशोएब निज़ाम
अंग्रेज़ी नामShoaib Nizam
जन्म स्थानKanpur

रफ़्तार-ए-तेज़-तर का भरम टूटने लगे

ये धुँद ये ग़ुबार छटे तो पता चले

यहाँ रहने में दुश्वारी बहुत है

टूटे हुए ख़्वाबों के तलबगार भी आए

तेरा चेहरा देख के हर शब सुब्ह दोबारा लिखती है

सफ़र सराबों का बस आज कटने वाला है

रात का तारीक-तर पत्थर जिगर पानी करें

नख़्ल-ए-दुआ कभी जब दिल की ज़मीं से निकले

मिल गया जब वो नगीं फिर ख़ूबी-ए-तक़दीर से

मेरे क़दमों पर निगूँ मेरा ही सर है भी तो क्या

किसी नादीदा शय की चाह में अक्सर बदलते हैं

ख़ुशी में ग़म मिला लेते हैं थोड़ा

जो तसव्वुर में है उस को कोई क्या रौशन करे

हवस के बीज बदन जब से दिल में बोने लगा

हैबत-ए-हुस्न से अल्फ़ाज़ की हैरानी तक

दुनिया से दुनिया में रह कर कैसे किनारा कर रक्खा है

दरों को चुनता हूँ दीवार से निकलता हूँ

चश्म-ए-गर्दूं फिर तमाज़त अपनी बरसाने लगी

बस अपनी ख़ाक पर अब ख़ुद ही सुल्तानी करेंगे हम

अजब तिलिस्म है नैरंग-ए-जावेदानी का

अगर सुने तो किसी को यक़ीं नहीं आए

अब्र का टुकड़ा कोई बाला-ए-बाम आता हुआ

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