ग़ुंचा चटका था कहीं ख़ातिर-ए-बुलबुल के लिए
मैं ने ये जाना कि कुछ मुझ से कहा हो जैसे
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Habib Jalib
Gulzar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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एक ज़र्रा भी न मिल पाएगा मेरा मुझ को
दोस्ती का दावा क्या आशिक़ी से क्या मतलब
अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में
दिल-ए-आबाद का बर्बाद भी होना ज़रूरी है