दोस्ती का दावा क्या आशिक़ी से क्या मतलब
मैं तिरे फ़क़ीरों में मैं तिरे ग़ुलामों में
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Gulzar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(914) Peoples Rate This
अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में
दिल-ए-आबाद का बर्बाद भी होना ज़रूरी है
एक ज़र्रा भी न मिल पाएगा मेरा मुझ को
ग़ुंचा चटका था कहीं ख़ातिर-ए-बुलबुल के लिए