हाए क्या हाल कर लिया दिल का
हाए क्या हाल कर लिया दिल का
ज़ख़्म अब तक नहीं सिया दिल का
आ के सूरत दिखा इन आँखों को
बुझ न जाए कहीं दिया दिल का
कल तलक था वफ़ा का सौदाई
आज पढ़ता है मर्सिया दिल का
तोले एहसास की कसौटी पर
है जुदागाना ज़ाविया दिल का
कोई रफ-वर्क का निशाँ भी नहीं
ख़ाली ख़ाली है हाशिया दिल का
कामयाबी का इंहिसार उस पर
हम को करना है तसफ़िया दिल का
प्यास लगती नहीं कभी उस को
ख़ून जिस ने भी पी लिया दिल का
नस्र में गुफ़्तुगू करें क्यूँकर
जब है अंदाज़ नज़मिया दिल का
जब नहीं सूझता मुझे कुछ और
बाँध लेता हूँ क़ाफ़िया दिल का
'शाद' हम ने तो दे दिया था उसे
क्या पता उस ने क्या किया दिल का
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