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दिल पर सितम हज़ार करे बेवफ़ा के लब - शमशाद शाद कविता - Darsaal

दिल पर सितम हज़ार करे बेवफ़ा के लब

दिल पर सितम हज़ार करे बेवफ़ा के लब

बर्छी कभी कटार लगे दिलरुबा के लब

गुफ़्त-ओ-शुनीद में बड़े बेबाक हैं मगर

देखा मुझे तो खुल न सके लब-कुशा के लब

गुफ़्तार-ओ-आन-बान का आलम न पूछिए

ख़ुश-रंग-ओ-जाँ-फ़ज़ा हैं मिरे हम-नवा के लब

हो जाए पल में ख़ाक वो जिस को ये चूम लें

जलते हुए शरारे हैं जान-ए-अदा के लब

बोसा लिया तो हुस्न ने शर्मा के यूँ कहा

रौशन किए हैं आप ने मेहर-ओ-वफ़ा के लब

मासूमियत तो देखिए बा'द-ए-शब-ए-ज़िफ़ाफ़

मा'शूक़ शिकवा-संज हुआ है दिखा के लब

बाग़ों से हम जो गुज़रे तो फूलों ने दी सदा

कितने हसीं हैं 'शाद' तिरी दिलरुबा के लब

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In Hindi By Famous Poet Shmashad Shad. is written by Shmashad Shad. Complete Poem in Hindi by Shmashad Shad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.