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हमारे पाँव डरते हैं तुम्हारे साथ चलने में - शिवकुमार बिलग्रामी कविता - Darsaal

हमारे पाँव डरते हैं तुम्हारे साथ चलने में

हमारे पाँव डरते हैं तुम्हारे साथ चलने में

ज़रा सा वक़्त लगता है कभी निय्यत बदलने में

तुम्हें शायद पता हो या न हो शायद पता तुम को

कि सालों-साल लगते हैं चुभा काँटा निकलने में

किसी पत्थर की मूरत से न करना प्यार तुम हरगिज़

हज़ारों साल लगते हैं बुतों का दिल पिघलने में

ज़रा सा वक़्त तो दे ज़िंदगी मुझ को सँभलने का

बुरा हो वक़्त तो कुछ वक़्त लगता है सँभलने में

न जाने क्यूँ बुझी आँखों में जुगनूँ से चमकते हैं

अभी तो वक़्त बाक़ी है अँधेरी रात ढलने में

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In Hindi By Famous Poet ShivKumar Bilgarami. is written by ShivKumar Bilgarami. Complete Poem in Hindi by ShivKumar Bilgarami. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.