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इक दामन में फूल भरे हैं इक दामन में आग ही आग - शिव रतन लाल बर्क़ पूंछवी कविता - Darsaal

इक दामन में फूल भरे हैं इक दामन में आग ही आग

इक दामन में फूल भरे हैं इक दामन में आग ही आग

ये है अपनी अपनी क़िस्मत ये हैं अपने अपने भाग

राह कठिन है दूर है मंज़िल वक़्त बचा है थोड़ा सा

अब तो सूरज आ गया सर पर सोने वाले अब तो जाग

पीरी में तो ये सब बातें ज़ाहिद अच्छी लगती हैं

ज़िक्र-ए-इबादत भरी जवानी में जैसे बे-वक़्त का राग

औरों पर इल्ज़ाम-तराशी फ़ितरत है हम लोगों की

सच पूछो तो पाल रखे हैं हम ने ख़ुद ज़हरीले नाग

यहीं पड़े रह जाएँगे सब माल ख़ज़ाने धन-दौलत

मौत पड़ी है तेरे पीछे भाग सके तू जितना भाग

हिर्स-ओ-हवा की इस दुनिया से बच के रहो तो अच्छा है

बेहतर है शीराज़ की दावत से बस रूखी रोटी साग

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In Hindi By Famous Poet Shiv Ratan Lal Barq Punchhwi. is written by Shiv Ratan Lal Barq Punchhwi. Complete Poem in Hindi by Shiv Ratan Lal Barq Punchhwi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.