दाग़ हुस्न-ए-क़मर भी होता है

दाग़ हुस्न-ए-क़मर भी होता है

ऐब रश्क-ए-हुनर भी होता है

इश्क़ ऐ हुस्न बे-बसर ही सही

ये हक़ीक़त-निगर भी होता है

हुस्न होता है कुछ तो हुस्न-ए-नज़र

कुछ फ़रेब-ए-नज़र भी होता है

तोड़ डाले जो दिल का आईना

वही आईना-गर भी होता है

दूरी-ए-रंग-ओ-बू हज़ार सही

हिज्र पैग़ाम-बर भी होता है

हाए तूल-ए-हयात-ए-इश्क़ 'सहाब'

कोई लम्हा बसर भी होता है

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In Hindi By Famous Poet Shiv Dayal Sahab. is written by Shiv Dayal Sahab. Complete Poem in Hindi by Shiv Dayal Sahab. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.