Ghazals of Shiv Dayal Sahab
नाम | शिव दयाल सहाब |
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अंग्रेज़ी नाम | Shiv Dayal Sahab |
वो रू-ब-रू हों तो ये कैफ़-ए-इज़्तिराब न हो
नुमूद-ए-रंग से बेगाना-वार आई है
नज़र बहार न देखे तो बे-क़रार न हो
मुझ को कहाँ ये होश तिरी जल्वा-गाह में
'मीर' का सोज़-ए-बयाँ हो तो ग़ज़ल होती है
इश्क़ में ऐसी करामात कहाँ थी पहले
ग़र्क़-ए-ग़म हूँ तिरी ख़ुशी के लिए
दाग़ हुस्न-ए-क़मर भी होता है
अंदोह-ए-बेश-ओ-कम न ग़म-ए-ख़ैर-ओ-शर में है