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तअल्लुक़ात चटख़्ते हैं टूट जाते हैं - शिफ़ा कजगावन्वी कविता - Darsaal

तअल्लुक़ात चटख़्ते हैं टूट जाते हैं

तअल्लुक़ात चटख़्ते हैं टूट जाते हैं

जब हम ख़ुलूस-ओ-मोहब्बत को आज़माते हैं

ख़ुशी का एक नया ज़ाविया उभरता है

हम अपने बच्चों से जिस वक़्त हार जाते हैं

शग़फ़ है ख़ूब रिवायात-ए-रफ़्तगाँ से मगर

हम अहद-ए-नौ के तराने भी गुनगुनाते हैं

उदास शब भी अमावस की मुस्कुराती है

जो क़ुमक़ुमे से निगाहों में जगमगाते हैं

हमारे बीच जो दीवार उठ रही है 'शिफ़ा'

चलो कि मिल के उसे आज हम गिराते हैं

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In Hindi By Famous Poet Shifa Kajgavnwi. is written by Shifa Kajgavnwi. Complete Poem in Hindi by Shifa Kajgavnwi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.