जब निगाहों के इशारात बदल जाते हैं
ख़ुद-ब-ख़ुद प्यार के जज़्बात बदल जाते हैं
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
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Wasi Shah
Anwar Masood
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मिरी आह बे-असर है मैं असर कहाँ से लाऊँ
मौसम भी ख़ुश-गवार ज़माना भी रास है
होती है लबों पर ख़ामोशी आँखों में मोहब्बत होती है
ग़म से भीगे हुए नग़्मात कहाँ से लाऊँ
तिरी निगाह ने अपना बना के छोड़ दिया
वो रक़्स करने लगीं हवाएँ वो बदलियों का पयाम आया