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मिरी आह बे-असर है मैं असर कहाँ से लाऊँ - शेवन बिजनौरी कविता - Darsaal

मिरी आह बे-असर है मैं असर कहाँ से लाऊँ

मिरी आह बे-असर है मैं असर कहाँ से लाऊँ

तिरे पास तक जो पहुँचे वो नज़र कहाँ से लाऊँ

मुझे भूल जाने वाले तुझे किस तरह भुलाऊँ

जिसे दर्द रास आए वो जिगर कहाँ से लाऊँ

मिरे रिज़्क़-ए-बंदगी को तिरे दर से वास्ता है

जो झुके बरू-ए-काबा मैं वो सर कहाँ से लाऊँ

मिरे पास दिल के टुकड़े मिरे पास ख़ूँ के आँसू

तू है सीम-ओ-ज़र की देवी तो मैं ज़र कहाँ से लाऊँ

शब-ए-ग़म के ये अंधेरे मिरा साथ दे रहे हैं

जो मिटाए ज़ुल्मतों को वो सहर कहाँ से लाऊँ

वही बर्क़ जिस ने गिर कर मिरी ज़िंदगी जला दी

मैं उसी को ढूँडता हूँ वो शरर कहाँ से लाऊँ

मिरी ज़िंदगी है 'शेवन' कुछ अजीब कशमकश में

वो असर को चाहते हैं मैं असर कहाँ से लाऊँ

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In Hindi By Famous Poet Shevan Bijnauri. is written by Shevan Bijnauri. Complete Poem in Hindi by Shevan Bijnauri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.