बातों में ढूँडते हैं वो पहलू मलाल का
बातों में ढूँडते हैं वो पहलू मलाल का
मतलब ये है कि ज़िक्र न आए विसाल का
क्या ज़िक्र उन से कीजिए दिल के मलाल का
है ख़ामुशी जवाब मिरे हर सवाल का
ता उम्र फिर न तालिब-ए-जल्वा हुए कलीम
देखा जो एक बार करिश्मा जमाल का
रुख़ पर पड़ी हुई है नक़ाब-ए-शुआ-ए-हुस्न
मौक़ा नज़र को ख़ाक मिले देख-भाल का
हम ना-मुराद-ए-इश्क़ वो हिज्राँ-नसीब हैं
देखा न हम ने मुँह कभी शाम-ए-विसाल का
बूद-ओ-नबूद कहते हैं अहल-ए-जहाँ जिसे
अदना सा शोबदा है तिलिस्म-ए-ख़याल का
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