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नदी किनारे जो नग़्मा-सरा मलंग हुए - शेर अफ़ज़ल जाफ़री कविता - Darsaal

नदी किनारे जो नग़्मा-सरा मलंग हुए

नदी किनारे जो नग़्मा-सरा मलंग हुए

हुबाब मौज में आ आ के जल-तरंग हुए

इरम के फूल अज़ल का निखार तूर की लौ

सख़ी चनाब की वादी में आ के झंग हुए

कभी जो साज़ को छेड़ा बहार-मस्तों ने

तो गंग गंग शजर हम-ए-ज़बान-ए-चंग हुए

अता किया तिरे माथे ने जिन को ईद का चाँद

निसार उन पे सितारों के राग रंग हुए

शब-ए-हयात में इंसाँ के वलवले 'अफ़ज़ल'

उभर के तारे बने कहकशाँ के संग हुए

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In Hindi By Famous Poet Sher Afzal Jafri. is written by Sher Afzal Jafri. Complete Poem in Hindi by Sher Afzal Jafri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.