Ghazals of Sher Afzal Jafri
नाम | शेर अफ़ज़ल जाफ़री |
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अंग्रेज़ी नाम | Sher Afzal Jafri |
जन्म की तारीख | 1909 |
मौत की तिथि | 1989 |
ज़िंदगी रैन-बसेरे के सिवा कुछ भी नहीं
ये बुझे बुझे सितारे ये धुआँ धुआँ सवेरा
वक़्त आफ़ाक़ के जंगल का जवाँ चीता है
उस को अपनी ज़ात ख़ुदा की ज़ात लगी है
टहनियाँ फूलों को तरसेंगी यहाँ तेरे बा'द
क़द्र की रात बड़ी प्यारी है
फूल शेरों की रवानी में चले तलवार भी
नुत्क़ पलकों पे शरर हो तो ग़ज़ल होती है
नदी किनारे जो नग़्मा-सरा मलंग हुए
मस्ती अज़ल की शहपर-ए-जिबरील हो गई
जल्वा बे-माया सा था चश्म-ओ-नज़र से पहले
जब सोज़ दुआ में ढलता है
जब अर्श पे दम तोड़ने लगती हैं दुआएँ
दार है मर्द-ए-अनल-हक़ का वतन
बिजलियाँ पी के जो उड़ जाते हैं
आसमानों से उतर कर मिरी धरती पे बिराज