दिल में शोला था सो आँखों में नमी बनता गया

दिल में शोला था सो आँखों में नमी बनता गया

दर्द का बेनाम जुगनू रौशनी बनता गया

एक आँसू अजनबियत का नदी बनता गया

एक लम्हा था तकल्लुफ़ का सदी बनता गया

क्या लबालब रोज़ ओ शब थे और क्या वहशी था मैं

ज़िंदगी से दूर हो कर आदमी बनता गया

कब जुनूँ में खिंच गई पैरों से अर्ज़-ए-ए'तिदाल

और इक यूँही सा जज़्बा आशिक़ी बनता गया

रफ़्ता रफ़्ता तीरगी ने दश्त-ए-जाँ सर कर लिया

रौशनी का हर फ़साना अन-कही बनता गया

ज़िंदगी ने कैसे राज़ों की पिटारी खोल दी

आगही का हर तयक़्क़ुन गुमरही बनता गया

शहर का चेहरा समझ कर देखते थे सब उसे

और वो ख़ुद से भी 'शहपर' अजनबी बनता गया

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In Hindi By Famous Poet Shehpar Rasool. is written by Shehpar Rasool. Complete Poem in Hindi by Shehpar Rasool. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.