शहपर रसूल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शहपर रसूल
नाम | शहपर रसूल |
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अंग्रेज़ी नाम | Shehpar Rasool |
जन्म की तारीख | 1956 |
मौत की तिथि | |
जन्म स्थान | Delhi |
रेख़्ता का इक नया मज्ज़ूब है 'शहपर' रसूल
मुझे भी लम्हा-ए-हिजरत ने कर दिया तक़्सीम
मैं ने भी देखने की हद कर दी
दूसरों के ज़ख़्म बुन कर ओढ़ना आसाँ नहीं
ज़हर-ए-शब वीरान बिस्तर ऐ ख़ुदा
ज़बाँ का ज़ाविया लफ़्ज़ों की ख़ू समझता है
उस की बातें क्या करते हो वो लफ़्ज़ों का बानी था
सुख़न किया जो ख़मोशी से शायरी जागी
फिर से वही हालात हैं इम्काँ भी वही है
नींद उजड़ी तो निगाहों में मनाज़िर क्या हैं
नसब ये है कि वो दुश्मन को कम-नसब न कहे
न कोई ख़्वाब न माज़ी ही मेरे हाल के पास
मेरी नज़र का मुद्दआ उस के सिवा कुछ भी नहीं
मस्लहत के ज़ावियों से किस क़दर अंजान है
कोई साया न कोई हम-साया
ख़ुद को ख़ुद पर ही जो इफ़्शा कभी करना पड़ जाए
कब चला जाता है 'शहपर' कोई आ के सामने
हम ज़िंदगी-शनास थे सब से जुदा रहे
होगी इस ढेर इमारत की कहानी कुछ तो
हँसते हुए हुरूफ़ में जिस को अदा करूँ
हमारे दर्द की जानिब इशारा करती हैं
एक दिन न रोने का फ़ैसला किया मैं ने
दिल में शोला था सो आँखों में नमी बनता गया
चुप गुज़र जाता हूँ हैरान भी हो जाता हूँ
बे-इंतिहा होना है तो इस ख़ाक के हो जाओ