मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
नाम | मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता |
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अंग्रेज़ी नाम | Shefta Mustafa Khan |
जन्म की तारीख | 1806 |
मौत की तिथि | 1869 |
जन्म स्थान | Delhi |
उड़ती सी 'शेफ़्ता' की ख़बर कुछ सुनी है आज
तूफ़ान-ए-नूह लाने से ऐ चश्म फ़ाएदा
शायद इसी का नाम मोहब्बत है 'शेफ़्ता'
किस लिए लुत्फ़ की बातें हैं फिर
जिस लब के ग़ैर बोसे लें उस लब से 'शेफ़्ता'
इज़हार-ए-इश्क़ उस से न करना था 'शेफ़्ता'
इतनी न बढ़ा पाकी-ए-दामाँ की हिकायत
हम तालिब-ए-शोहरत हैं हमें नंग से क्या काम
हज़ार दाम से निकला हूँ एक जुम्बिश में
फ़साने यूँ तो मोहब्बत के सच हैं पर कुछ कुछ
फ़साने अपनी मोहब्बत के सच हैं पर कुछ कुछ
दिल-ए-बद-ख़ू की किसी तरह रऊनत कम हो
बे-उज़्र वो कर लेते हैं व'अदा ये समझ कर
ऐ ताब-ए-बर्क़ थोड़ी सी तकलीफ़ और भी
आशुफ़्ता-ख़ातिरी वो बला है कि 'शेफ़्ता'
यार को महरूम-ए-तमाशा किया
उठ सुब्ह हुई मुर्ग़-ए-चमन नग़्मा-सरा देख
था ग़ैर का जो रंज-ए-जुदाई तमाम शब
तंग थी जा ख़ातिर-ए-नाशाद में
शोख़ी ने तेरी लुत्फ़ न रक्खा हिजाब में
शब वस्ल की भी चैन से क्यूँकर बसर करें
रोज़ ख़ूँ होते हैं दो-चार तिरे कूचे में
मर गए हैं जो हिज्र-ए-यार में हम
मैं वस्ल में भी 'शेफ़्ता' हसरत-तलब रहा
मह्व हूँ मैं जो उस सितमगर का
कुछ दर्द है मुतरिबों की लय में
कौन से दिन तिरी याद ऐ बुत-ए-सफ़्फ़ाक नहीं
कम-फ़हम हैं तो कम हैं परेशानियों में हम
कहूँ मैं क्या कि क्या दर्द-ए-निहाँ है
कब निगह उस की इश्वा-बार नहीं