Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5ad152cb0819277bc3792140f4eaea57, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आज हर सम्त भागते हैं लोग - शीन काफ़ निज़ाम कविता - Darsaal

आज हर सम्त भागते हैं लोग

आज हर सम्त भागते हैं लोग

गोया चौराहा हो गए हैं लोग

हर तरफ़ से तुड़े-मुड़े हैं लोग

जाने कैसे टिके हुए हैं लोग

अपनी पहचान भीड़ में खो कर

ख़ुद को कमरों में ढूँडते हैं लोग

बंद रह रह के अपने कमरों में

टेबलों पर खुले खुले हैं लोग

ले के बारूद का बदन यारो

आग लेने निकल पड़े हैं लोग

रास्ता किस के पाँव से उलझे

खूटियों पर टँगे हुए हैं लोग

(442) Peoples Rate This

Related Poetry

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sheen Kaaf Nizam. is written by Sheen Kaaf Nizam. Complete Poem in Hindi by Sheen Kaaf Nizam. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.