Ghazals of Sheen Kaaf Nizam
नाम | शीन काफ़ निज़ाम |
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अंग्रेज़ी नाम | Sheen Kaaf Nizam |
जन्म की तारीख | 1947 |
जन्म स्थान | Jodhpur |
वो गुनगुनाते रास्ते ख़्वाबों के क्या हुए
वही न मिलने का ग़म और वही गिला होगा
रीत पर जितने भी नविश्ते हैं
पुरखों से जो मिली है वो दौलत भी ले न जाए
पत्तियाँ हो गईं हरी देखो
पाँव में दूर का सफ़र चमके
मेरे अल्फ़ाज़ में असर रख दे
मौज-ए-हवा तो अब के अजब काम कर गई
मौज-ए-हवा से फूलों के चेहरे उतर गए
मंज़िलों का निशान कब देगा
मंज़र को किसी तरह बदलने की दुआ दे
क्या ख़बर थी आतिशीं आब-ओ-हवा हो जाऊँगा
किसी के साथ अब साया नहीं है
कई शक्लों में ख़ुद को सोचता है
कभी जंगल कभी सहरा कभी दरिया लिख्खा
इक साएँ साएँ घेरे है गिरते मकान को
दरवाज़ा कोई घर से निकलने के लिए दे
छीन कर वो लज़्ज़त-ए-सौत-ओ-सदा ले जाएगा
बूँद बन बन के बिखरता जाए
अक्स ने आईने का घर छोड़ा
आरज़ू थी एक दिन तुझ से मिलूँ
आँखों में रात ख़्वाब का ख़ंजर उतर गया
आज हर सम्त भागते हैं लोग