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किस किस को अब रोना होगा जाने क्या क्या भूल गया - शाज़ तमकनत कविता - Darsaal

किस किस को अब रोना होगा जाने क्या क्या भूल गया

किस किस को अब रोना होगा जाने क्या क्या भूल गया

चश्म ओ लब का ज़िक्र ही क्या है मैं तो सरापा भूल गया

उस ने तो शायद बाद-ए-सबा से नामा-ए-ख़ुशबू भेजा था

उस को ख़बर क्या मुझ को चमन का पत्ता पत्ता भूल गया

शहर-ए-शब में अपनी फ़क़त इक नज्म-ए-सहर से यारी थी

हम कुछ ऐसे सोए वो भी रफ़्ता रफ़्ता भूल गया

आबला-पा हूँ आप-अपने ही नक़्श-ए-क़दम से डरता हूँ

तन्हा तन्हा फिरते फिरते अपना साया भूल गया

'शाज़' से पूछो ओ सौदाई किस की धुन में फिरता है

किस की बातें याद आती हैं किस का चेहरा भूल गया

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In Hindi By Famous Poet Shaz Tamkanat. is written by Shaz Tamkanat. Complete Poem in Hindi by Shaz Tamkanat. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.