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कौन देता रहा सहरा में सदा मेरी तरह - शाज़ तमकनत कविता - Darsaal

कौन देता रहा सहरा में सदा मेरी तरह

कौन देता रहा सहरा में सदा मेरी तरह

आज तन्हा हूँ मगर कोई तो था मेरी तरह

मैं तिरी राह में पामाल हुआ जाता हूँ

मिट न जाए तिरा नक़्श-ए-कफ़-ए-पा मेरी तरह

मैं ही तन्हा हूँ फ़क़त तेरी भरी दुनिया में

और भी लोग हैं क्या मेरे ख़ुदा मेरी तरह

रंग-ए-अर्बाब-ए-रज़ा-पेशा मुबारक हो तुझे

कोई होता ही नहीं तुझ से ख़फ़ा मेरी तरह

किस को हासिल हो तिरी चश्म-ए-सियह के आगे

मंसब-ए-सिलसिला-ए-जुर्म-ओ-ख़ता मेरी तरह

आश्ना कौन है नक़्श-ए-क़दम-ए-निकहत का

याद किस को है तिरे घर का पता मेरी तरह

'शाज़' तारा नहीं टूटा कोई दिल टूटा है

राह तकता था शब-ए-ग़म कोई क्या मेरी तरह

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In Hindi By Famous Poet Shaz Tamkanat. is written by Shaz Tamkanat. Complete Poem in Hindi by Shaz Tamkanat. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.