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हज़ारों मुश्किलें हैं और लाखों ग़म लिए हैं हम - शायान क़ुरैशी कविता - Darsaal

हज़ारों मुश्किलें हैं और लाखों ग़म लिए हैं हम

हज़ारों मुश्किलें हैं और लाखों ग़म लिए हैं हम

मोहब्बत का मगर हाथों में इक परचम लिए हैं हम

वो नग़्मे जो ख़िज़ाँ को फिर बहार-ए-नौ बनाते हैं

उन्ही गीतों की होंटों पर नई सरगम लिए हैं हम

हमारे दिल में है जज़्बात का तपता हुआ सूरज

जो पलकों से चुनी वो दर्द की शबनम लिए हैं हम

मुबारक हो ख़िरद वालों तुम्हें फ़िक्र-ओ-नज़र अपनी

हैं अहल-ए-दिल बहार-ए-इश्क़ के मौसम लिए हैं हम

पलटिए गर कभी फ़ुर्सत मिले औराक़ माज़ी के

हमारी क्या सिफ़त भी और क्या क्या ग़म लिए हैं हम

समझ ली अब हक़ीक़त रहबरान-ए-मुल्क की सब ने

नमक चुटकी में ले कर कह रहे मरहम लिए हैं हम

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In Hindi By Famous Poet Shayan Quraishi. is written by Shayan Quraishi. Complete Poem in Hindi by Shayan Quraishi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.