Ghazals of Shayan Quraishi
नाम | शायान क़ुरैशी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shayan Quraishi |
ज़माना याद रक्खेगा तुम्हें ये काम कर जाना
ज़ख़्म सीने का फिर उभर आया
ज़बानें चुप रहें लेकिन मिज़ाज-ए-यार बोलेगा
वक़्त आख़िर ले गया वो शोख़ियाँ वो बाँकपन
शिकोह-ए-ज़ात से दुश्मन का लश्कर काँप जाता है
शाम के ढलते सूरज ने ये बात मुझे समझाई है
सफ़र कहने को जारी है मगर अज़्म-ए-सफ़र ग़ाएब
सब्र-ओ-क़रार टूट गया इज़्तिराब से
राह-ए-वफ़ा में साया-ए-दीवार-ओ-दर भी है
हज़ारों मुश्किलें हैं और लाखों ग़म लिए हैं हम
हालात के कोहना दर-ओ-दीवार से निकलें
बिखरी थी हर सम्त जवानी रात घनेरी होने तक
बात हो दैर-ओ-हरम की या वतन की बात हो