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ज़ाविए फ़िक्र के अब और बनाओ यारो - शौक़ सालकी कविता - Darsaal

ज़ाविए फ़िक्र के अब और बनाओ यारो

ज़ाविए फ़िक्र के अब और बनाओ यारो

बात काग़ज़ पे नए ढंग से लाओ यारो

कर दिए सर्द मसर्रत की घटा ने जज़्बात

रूह को ग़म की ज़रा धूप दिखाओ यारो

जंग अख़्लाक़-ओ-मोहब्बत से भी हो सकती है

अपने दुश्मन पे न तलवार उठाओ यारो

जिस को हर क़ौम की तहज़ीब गवारा कर ले

ऐसा दस्तूर कोई सामने लाओ यारो

इंतिहा नूर की आँखों में न ज़ुल्मत भर दे

रौशनी हद से ज़ियादा न बढ़ाओ यारो

मेरा मक़्सद है मुलाक़ात ग़रज़ कुछ भी नहीं

मुझ को उतरे हुए चेहरे न दिखाओ यारो

मंज़िलें ज़ेर-ए-क़दम जल्द सिमट आएँगी

जज़्बा-ए-'शौक' ज़रा और बढ़ाओ यारो

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In Hindi By Famous Poet Shauq Salki. is written by Shauq Salki. Complete Poem in Hindi by Shauq Salki. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.