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दिल मिरा टूटा तो उस को कुछ मलाल आ ही गया - शौक़ क़िदवाई कविता - Darsaal

दिल मिरा टूटा तो उस को कुछ मलाल आ ही गया

दिल मिरा टूटा तो उस को कुछ मलाल आ ही गया

अपने बचपन के खिलौने का ख़याल आ ही गया

हश्र में मज़लूम सब चुप रह गए मुँह देख कर

आख़िर इस ज़ालिम के काम उस का जमाल आ ही गया

हँस के बोला जब फँसा बालों में ख़ूँ-आलूदा दिल

जाल फैलाया था मैं ने उस में लाल आ ही गया

छुप के गर माह-ए-सियाम आता तो मय क्यूँ छूटती

क्या करूँ मैं सामने मेरे हिलाल आ ही गया

दिल था उस का लेकिन अब हम मर के देंगे हूर को

वो पशेमाँ है कि वक़्त-ए-इंतिक़ाल आ ही गया

काँप उठे ग़ुस्से से वो सुन कर मिरी फ़रियाद को

नग़्मा ऐसा था कि आख़िर उन को हाल आ ही गया

मेरी नज़रों से कोई ऐ 'शौक़' सीखे जज़्ब-ए-इश्क़

बन के तिल आँखों में उस के रुख़ का ख़ाल आ ही गया

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In Hindi By Famous Poet Shauq Qidvai. is written by Shauq Qidvai. Complete Poem in Hindi by Shauq Qidvai. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.