Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d42fa6fc777a9b2b3e7b06aeccb18d7f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कुछ तो देखें असर चराग़ चले - शौक़ माहरी कविता - Darsaal

कुछ तो देखें असर चराग़ चले

कुछ तो देखें असर चराग़ चले

बुझ ही जाए मगर चराग़ जले

मुस्कुरा कर ये किस ने देख लिया

रहगुज़र रहगुज़र चराग़ जले

उतनी ही और तीरगी फैली

शहर में जिस क़दर चराग़ जले

कौन जाने कि किन अमीरों पर

शाम से ता-सहर चराग़ जले

क़ाबिल-ए-दीद है ये आलम भी

इस तरफ़ दिल उधर चराग़ जले

सारी बस्ती धुएँ में डूब गई

शहर में इस क़दर चराग़ जले

'शौक़' आँधी है आज ज़ोरों पर

आज हर गाम पर चराग़ जले

(592) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shauq Mahri. is written by Shauq Mahri. Complete Poem in Hindi by Shauq Mahri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.