वो सनम ख़ूगर-ए-वफ़ा न हुआ
वो सनम ख़ूगर-ए-वफ़ा न हुआ
ये भी अच्छा हुआ बुरा न हुआ
आ गया लुत्फ़ ज़िंदगानी का
दर्द जो क़ाबिल-ए-दवा न हुआ
उम्र भर हम जुदा रहे उस से
हम से दम भर भी जो जुदा न हुआ
कहे देती हैं शर्म-गीं नज़रें
क्या हुआ रात और क्या न हुआ
'शौक़' ने लिक्खे सैंकड़ों दफ़्तर
हर्फ़-ए-मतलब मगर अदा न हुआ
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