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रो रही है जिस तरह ये शम्अ परवाने के बाद - शौक़ देहलवी मक्की कविता - Darsaal

रो रही है जिस तरह ये शम्अ परवाने के बाद

रो रही है जिस तरह ये शम्अ परवाने के बाद

आप भी रोएँगे मुझ को मेरे मर जाने के बाद

गर नहीं मिलती शराब-ए-नाब आँसू ही सही

कुछ तो पीना चाहिए फ़ुर्क़त में ग़म खाने के बाद

रश्क-ए-जन्नत बन गया था आप के आने से घर

हो गया दोज़ख़ से बद-तर फिर चले जाने के बाद

क्या ख़बर हम बद-नसीबों को है क्या शय-ए-बहार

हम ने तो गुलशन को देखा है उजड़ जाने के बाद

क्या बताएँ तुझ को वाइज़ मय-कशी के हम मज़े

आप हो जाएँगे मालूम एक पैमाने के बाद

राएगाँ होने न दो ऐ 'शौक़' तुम वक़्त-ए-अज़ीज़

ये वो शय है जो नहीं मिलती है खो जाने के बाद

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In Hindi By Famous Poet Shauq Dehlvi Makki. is written by Shauq Dehlvi Makki. Complete Poem in Hindi by Shauq Dehlvi Makki. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.