Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_fab837165ba9c7b74b9dd9bb5e37cb58, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इधर है बाद-ए-सुमूम नालाँ उधर है बर्क़-ए-तपाँ भी आजिज़ - शौक़ बहराइची कविता - Darsaal

इधर है बाद-ए-सुमूम नालाँ उधर है बर्क़-ए-तपाँ भी आजिज़

इधर है बाद-ए-सुमूम नालाँ उधर है बर्क़-ए-तपाँ भी आजिज़

मिरी बहारों से हो गई अब हराम-ज़ादी ख़िज़ाँ भी आजिज़

ये होश-ओ-अक़्ल-ओ-ख़िरद की ख़ामी पे हिर्स-ए-रहबर की तिश्ना-कामी

कि जिस को सैराब करते करते हुआ है अक्सर कुआँ भी आजिज़

किया है यूँ अज़्म-ए-मुस्तक़िल ने ख़िलाफ़ उन के महाज़ क़ाएम

कि आज कल है सितमगरों की चुनीं भी आजिज़ चुनाँ भी आजिज़

तमाम रिंदों ने मय-कदे में अब ऐसी शोरिश मचा रखी है

कि शीशे उल्टे सुराही औंधी है मेरा पीर-ए-मुग़ाँ भी आजिज़

जफ़ाएँ दिन रात ढाते ढाते सितम के बानी भी थक न जाएँ

शिकार चूहों का करते करते न हों कहीं बिल्लियाँ भी आजिज़

हरीम-ए-नाज़-ओ-अदा में उन की ये कौन दहक़ानी बोलता है

है ना-तराशीदा गुफ़्तुगू से ज़बाँ भी लुत्फ़-ए-ज़बाँ भी आजिज़

(578) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shauq Bahraichi. is written by Shauq Bahraichi. Complete Poem in Hindi by Shauq Bahraichi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.