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इक जफ़ा-जू से मोहब्बत हो गई - शौक़ बहराइची कविता - Darsaal

इक जफ़ा-जू से मोहब्बत हो गई

इक जफ़ा-जू से मोहब्बत हो गई

हाए ये कैसी हिमाक़त हो गई

हो गया जिस पर मसीहा मेहरबाँ

बंद उस के दिल की हरकत हो गई

आ गई उन की जवानी आ गई

हो गई बरपा क़यामत हो गई

ये तसव्वुर की करिश्मा-साज़ियाँ

देखा जिस शय को वो औरत हो गई

लीजे वो उट्ठी निगाह-ए-इल्तिफ़ात

लीजे तकमील-ए-हिमाक़त हो गई

जब निगाह-ए-नाज़ कमसिन की उठी

नन्ही-मुन्नी इक क़यामत हो गई

जब हुए वो माइल-ए-अहद-ए-वफ़ा

बढ़ के माने उन की लुक्नत हो गई

क्या करे बेचारी दुज़दीदा निगाह

चोरी करना उस की फ़ितरत हो गई

ये इनायात-ए-मुसलसल अल-अमाँ

दुगुनी और तिगुनी मुसीबत हो गई

मुँह लगी उम्माल-ए-अहद-ए-नौ के भी

किसी क़दर गुस्ताख़ रिश्वत हो गई

मैं ने यूँ दिल को बनाया आईना

आईना-गर को भी हैरत हो गई

लाख ज़ालिम ने छुपाए अपने ऐब

'शौक़' उस की फिर भी शोहरत हो गई

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In Hindi By Famous Poet Shauq Bahraichi. is written by Shauq Bahraichi. Complete Poem in Hindi by Shauq Bahraichi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.