'शौकत' हमारे साथ बड़ा हादिसा हुआ
हम रह गए हमारा ज़माना चला गया
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बड़े वसूक़ से दुनिया फ़रेब देती रही
रविश रविश पे चमन के बुझे बुझे मंज़र
बिखरे तो फिर बहम मिरे अज्ज़ा नहीं हुए
मुझे तो रंज क़बा-ए-हा-ए-तार-तार का है