हो राहज़न की हिदायत कि राहबर के फ़रेब

हो राहज़न की हिदायत कि राहबर के फ़रेब

मिरी निगाह ने खाए नज़र नज़र के फ़रेब

ये बुत-कदे ये कलीसा ये मस्जिदें ये हरम

ये सब फ़रेब हैं और एक संग-ए-दर के फ़रेब

समझ रहे थे कि अश्कों से होगा दिल हल्का

न जानते थे कि हैं ये भी चश्म-ए-तर के फ़रेब

पता चला कि हर इक गाम में थी इक मंज़िल

खुले हैं मंज़िल-ए-मक़्सूद पर सफ़र के फ़रेब

इन्हीं का नाम मोहब्बत इन्हीं का नाम जुनूँ

मिरी निगाह के धोके तिरी नज़र के फ़रेब

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In Hindi By Famous Poet Shaukat Thanvi. is written by Shaukat Thanvi. Complete Poem in Hindi by Shaukat Thanvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.