उन की निगाह-ए-नाज़ की गर्दिश के साथ साथ
महसूस ये हुआ कि ज़माना बदल गया
Habib Jalib
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Javed Akhtar
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Gulzar
Jaun Eliya
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Rahat Indori
Ahmad Faraz
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हौसले की कमी से डरता हूँ
हर बुरे वक़्त में काम आया था
हसरत
शुऊ'र-ए-कैफ़-ओ-ख़ुशी है ज़रा ठहर जाओ
फिर कोई जश्न मनाओ कि हँसी आ जाए
किसी की बाज़ी कैसी घात
नज़र-नवाज़ नज़ारों की याद आती है
ये कैसी बे-क़रारी सुनने वालों के दिलों में है
यास
याद
मौज-ए-तूफ़ाँ से निकल कर भी सलामत न रहे
रात तारों से जब सँवरती है