क्या बढ़ेगा वो तसव्वुर की हदों से आगे
सुब्ह की देख के याद आए जिसे शाम की बात
Parveen Shakir
Gulzar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(797) Peoples Rate This
वो आँखें जो अब अजनबी हो गई हैं
यास
हम-सफ़र
शुऊ'र-ए-कैफ़-ओ-ख़ुशी है ज़रा ठहर जाओ
एहसास की लज़्ज़त के क़रीब आ जाओ
जी में आता है कि 'शौकत' किसी चिंगारी को
फिर कोई जश्न मनाओ कि हँसी आ जाए
निगाह को भी मयस्सर है दिल की गहराई
हँसते हँसते बहे हैं आँसू भी
किसी की बाज़ी कैसी घात
उस के नाम