शौकत परदेसी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शौकत परदेसी
नाम | शौकत परदेसी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shaukat Pardesi |
जन्म की तारीख | 1924 |
मौत की तिथि | 1995 |
जन्म स्थान | Jaunpur |
यादों की मैं बारात लिए आया हूँ
उड़ता हुआ बादल कहीं हाथ आया है
ख़्वाबों के तिलिस्मात से हम गुज़रे हैं
जुरअत हो तो दुनिया से बग़ावत कर लो
यास
मायूसी
हसरत
हम-सफ़र
ए'तिबार
अंजाम-ए-विसाल
आरज़ू
एहसास की लज़्ज़त के क़रीब आ जाओ
दिल पर असर-ए-ख़्वाब है हल्का हल्का
आईने को ख़ुद तोड़ रहा हो जैसे
ज़िंदगी से कोई मानूस तो हो ले पहले
ये कैसी बे-क़रारी सुनने वालों के दिलों में है
वो आँखें जो अब अजनबी हो गई हैं
उस की हँसी तुम क्या समझो
उन की निगाह-ए-नाज़ की गर्दिश के साथ साथ
तुम ही अब वो नहीं रहे वर्ना
'शौकत' वो आज आप को पहचान तो गए
शरीक-ए-दर्द नहीं जब कोई तो ऐ 'शौकत'
रात इक नादार का घर जल गया था और बस
क़रीब से उसे देखो तो वो भी तन्हा है
फूँक कर सारा चमन जब वो शरीक-ए-ग़म हुए
निगाह को भी मयस्सर है दिल की गहराई
ना-शनासान-ए-मुहब्बत का गिला क्या कि यहाँ
मौज-ए-तूफ़ाँ से निकल कर भी सलामत न रहे
क्या बढ़ेगा वो तसव्वुर की हदों से आगे
कुछ तो फ़ितरत से मिली दानाई