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इस क़दर पाएमाल हैं हम लोग - शातिर हकीमी कविता - Darsaal

इस क़दर पाएमाल हैं हम लोग

इस क़दर पाएमाल हैं हम लोग

आप अपनी मिसाल हैं हम लोग

बे-नियाज़-ए-मलाल हैं हम लोग

लाख सैद-ए-ज़वाल हैं हम लोग

अपने इस्याँ की शर्मसारी से

पैकर-ए-इंफ़िआल हैं हम लोग

इक फ़साना है शौकत-ए-माज़ी

देख लो ख़स्ता-हाल हैं हम लोग

बुत-कदे में अज़ाँ न दें तो सही

यादगारी बिलाल हैं हम लोग

क्यूँ परेशाँ है ऐ दिल-ए-महज़ूँ

दौलत-ए-ला-ज़वाल हैं हम लोग

हम से रौशन है आसमान-ए-अदब

ग़ैरत-ए-सद-हिलाल हैं हम लोग

इक मुअम्मा है ज़िंदगी 'शातिर'

क्या अनोखा सवाल हैं हम लोग

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In Hindi By Famous Poet Shatir Hakeemi. is written by Shatir Hakeemi. Complete Poem in Hindi by Shatir Hakeemi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.