मोहब्बत की इंतिहा पर
पापा
तुम मर जाओ न पापा
मैं तुम से नफ़रत करता हूँ
कश तुम लेते हो खाँसी मुझ को आती है
दिल के दौरे तुम्हें नहीं
मुझ को पड़ते हैं
आख़िर कब तक
रात में उठ कर
लाइट जला कर
देखूँगा मैं साँस तुम्हारी
कब तक मेरी टीचर
मुझ को टोकेगी
गुम-सुम रहने पर
कैसे बतलाऊँ
मैं कितना डर जाता हूँ
जब मेरी रिक्शा मुड़ती है
घर वाले रस्ते पर
आज भी कम बेचैन नहीं मैं
मोड़ वो बस आने वाला है
चैन पड़ गया
आज भी मेरे घर के आगे भीड़ नहीं है
यानी
आज भी शायद सब कुछ ठीक है घर में
यानी तुम ज़िंदा हो पापा
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