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शारिक़ कैफ़ी Ghazal In Hindi - Best शारिक़ कैफ़ी Ghazal Shayari & Poems - Page 1 - Darsaal

Ghazals of Shariq Kaifi (page 1)

Ghazals of Shariq Kaifi (page 1)
नामशारिक़ कैफ़ी
अंग्रेज़ी नामShariq Kaifi
जन्म की तारीख1961
जन्म स्थानBareilly

ये सच है दुनिया बहुत हसीं है

ये कुछ बदलाव सा अच्छा लगा है

ये चुपके चुपके न थमने वाली हँसी तो देखो

वो दिन भी थे कि इन आँखों में इतनी हैरत थी

उदास हैं सब पता नहीं घर में क्या हुआ है

तरह तरह से मिरा दिल बढ़ाया जाता है

तन से जब तक साँस का रिश्ता रहेगा

सूना आँगन नींद में ऐसे चौंक उठा है

सियाने थे मगर इतने नहीं हम

सामने तेरे हूँ घबराया हुआ

सफ़र से मुझ को बद-दिल कर रहा था

सब आसान हुआ जाता है

रात बे-पर्दा सी लगती है मुझे

पहली बार वो ख़त लिक्खा था

निगाह नीची हुई है मेरी

नहीं मैं हौसला तो कर रहा था

मुमकिन ही न थी ख़ुद से शनासाई यहाँ तक

लोग सह लेते थे हँस कर कभी बे-ज़ारी भी

कुछ क़दम और मुझे जिस्म को ढोना है यहाँ

कोई कुछ भी कहता रहे सब ख़ामोशी से सुन लेता है

ख़्वाब वैसे तो इक इनायत है

ख़मोशी बस ख़मोशी थी इजाज़त अब हुई है

कम से कम दुनिया से इतना मिरा रिश्ता हो जाए

कहीं न था वो दरिया जिस का साहिल था मैं

कहाँ सोचा था मैं ने बज़्म-आराई से पहले

कभी ख़ुद को छूकर नहीं देखता हूँ

जो कहता है कि दरिया देख आया

झूट पर उस के भरोसा कर लिया

इंतिहा तक बात ले जाता हूँ मैं

होने से मिरे फ़र्क़ ही पड़ता था भला क्या

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