शारिक़ कैफ़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शारिक़ कैफ़ी
नाम | शारिक़ कैफ़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shariq Kaifi |
जन्म की तारीख | 1961 |
जन्म स्थान | Bareilly |
यही कमरा था जिस में चैन से हम जी रहे थे
वो बस्ती ना-ख़ुदाओं की थी लेकिन
वो बात सोच के मैं जिस को मुद्दतों जीता
उम्र भर किस ने भला ग़ौर से देखा था मुझे
तसल्ली अब हुई कुछ दिल को मेरे
शायद उसे ज़रूरत हो अब पर्दे की
सारी दुनिया से लड़े जिस के लिए
सब आसान हुआ जाता है
रुका महफ़िल में इतनी देर तक मैं
रात थी जब तुम्हारा शहर आया
क़ुर्ब का उस के उठा कर फ़ाएदा
पता नहीं ये तमन्ना-ए-क़ुर्ब कब जागी
पहली बार वो ख़त लिक्खा था
नींद के वास्ते वैसे भी ज़रूरी है थकन
नया यूँ है कि अन-देखा है सब कुछ
मौत ने सारी रात हमारी नब्ज़ टटोली
मंज़िलों पर हम मिलें ये तय हुआ
मैं किसी दूसरे पहलू से उसे क्यूँ सोचूँ
लरज़ते काँपते हाथों से बूढ़ा
क्या मिला दश्त में आ कर तिरे दीवाने को
किस तरह आए हैं इस पहली मुलाक़ात तलक
किस एहसास-ए-जुर्म की सब करते हैं तवक़्क़ो
ख़्वाब वैसे तो इक इनायत है
कौन था वो जिस ने ये हाल किया है मेरा
कौन कहे मा'सूम हमारा बचपन था
कम से कम दुनिया से इतना मिरा रिश्ता हो जाए
कैसे टुकड़ों में उसे कर लूँ क़ुबूल
कहाँ सोचा था मैं ने बज़्म-आराई से पहले
कभी ख़ुद को छू कर नहीं देखता हूँ
जिन पर मैं थोड़ा सा भी आसान हुआ हूँ