मेज़ों पे सजा के अयाग़ धरो

मेज़ों पे सजा के अयाग़ धरो

अब दामन दामन दाग़ धरो

हम-सायों के घर हैं छप्पर के

ला कर न हवा में चराग़ धरो

आकाश को इक दिन छू लेगा

उस सर में मेरा दिमाग़ धरो

बेगानों की है ये बस्ती

मंज़िल के यहाँ न सुराग़ धरो

अच्छा नहीं दिल का कोरा-पन

इस बंजर में एक बाग़ धरो

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In Hindi By Famous Poet Shariq Adeel. is written by Shariq Adeel. Complete Poem in Hindi by Shariq Adeel. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.